अब सबक ले लें शिवसेना


शिवसेना के विरोध के बावजूद शाहरुख खान की नई फिल्म ‘माई नेम इज खान’ आज मुंबई के सभी सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। देशभर में पहले ही दिन फिल्म के हाउसफुल ने शिवसेना के विरोध को नकार दिया। अब समय आ गया है कि शिवसेना ओछी क्षेत्रवाद व विरोध की अपनी राजनीति से तौबा कर सबक ले लें। यदि शिवसेना अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए इसी तरह लोगों की भावनाओं व देश की एकता को भड़काने वाली राजनीति करती रही और मराठी व गैरमराठीवाद का कार्ड खेलती रही तो एक दिन उसे अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि अब जनता उसकी राजनीतिक चाल समझ चुकी है। उसे अन्य राज्य तो दूर महाराष्ट्र में ही मुंह की खानी पड़ेगी। अभी भी मौका है शिवसेना के नेतागण इस बात को समय रहते समझ जाए और जनता के विकास की राजनीति करे। देश व देश के लोगों से प्यार करना सीखे। तभी जनता उसे सिर आंखों पर बैठाएगी। अब तो महाराष्ट्र के लोग ही उनका विरोध करने लगे हैं। अनेकता में एकता ही भारत की दुनिया में विशेषता है। यह बात शिवसैनिकों को समझ लेना चाहिए। विरोध जरूर हो, लेकिन वह देशहित में हो। कभी भी अपने फायदे के लिए विरोध करना, लोगों की भावनाओं को भड़काना गलत है।

टिप्पणियाँ

कडुवासच ने कहा…
...सच्ची बात !!!
Anil Pusadkar ने कहा…
शंकर क्या सिर्फ़ शिवसेना को सबक सिखाना काफ़ी है?क्या एक फ़िल्म पर इतनी हाय-तौबा मचाना ज़रूरी है?क्या सरकार का इतना ज़ोर सिर्फ़ शिवसेना से निपटने के लिये ही ज़रूरी है?महंगाई के बारे मे आखिर कौन सोचेगा?
shankar chandraker ने कहा…
आपके बात से सहमत हूँ भैयाजी. महंगाई को साधने में सरकार अब तक नाकाम रही है. मुंबई में कांग्रेस सरकार फिल्म से कहीं ज्यादा शिवसेना को साधने के लिए फ़ोर्स लगाई थी. फिल्म तो सिर्फ एक बहाना था. अगर फिल्म के लिए इतना फ़ोर्स लगाना था तो वह पहले से लगा देते. कुल मिलाकर जो कुछ हुआ सब अपने-अपने वोट बटोरने के लिए है.
प्रिया ने कहा…
aapke comment ke liye shukriya...sab marketing hai bhai

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